मेरे चलने से हुए हो तुम पथ और रथ हुए हो तुम मेरे रथी होने से रात बनोगे तुम मेरे सोने से और प्रभात मेरे जागने से !
हिंदी समय में भवानीप्रसाद मिश्र की रचनाएँ